हमारे देश में शिमला मिर्च को सब्जी, लाल - हरी मोटी मिर्च को अचार, हरी मिर्च को सलाद - सब्जी और सूखी लाल मिर्च को मसालों के रूप इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च की खेती को मसाला फसल के रूप में किया जाता है | मिर्च को ताज़ा - सूखा एवं पाउडर तीनो ही रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। सभी प्रकार की सब्जियों में मिर्च का बहुत अधिक महत्त्व होता है, क्योकि बिना मिर्च कोई भी सब्जी कितनी ही अच्छी तरह से क्यों न बनाई गई वह फीकी ही लगेगी। मिर्च में कैप्सेइसिन रसायन पाया जाता है, जो इसके स्वाद को तीखा बनाता है। यह हमारे भोजन में स्वाद का एक अहम हिस्सा होती है। मिर्च में फॉस्फोरस, कैल्सियम, विटामिन ए, सी, के तत्व पाए जाते है, जो स्वास्थ की दृष्टि से भी हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते है। वैज्ञानिक रूप से हरी मिर्च की खेती करने पर अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। मिर्च की खेती को किसी भी जलवायु में किया जा सकता है, किन्तु आद्र शुष्क जलवायु को इसकी खेती के लिए उचित माना जाता है। अधिक गर्मी और सर्दी का मौसम इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है। इसके अलावा सर्दियों में गिरने वाला पाला भी मिर्च की फसल के ...
पीली सरसों की खेती करते समय इन बातों का रखें ध्यान पीली सरसों की खेती के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए तथा इसके बाद 2-3 जुताइयां देशी हल, कल्टीवेटर/हैरों से करके पाटा देकर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए। बीज जनित रोगों से सुरक्षा के लिए उपचारित एवं प्रमाणित बीज ही बोना चाहिए। उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के बाद करना चाहिए। इसलिए किसान संभव हो तो अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करा लेना चाहिए ताकि मिट्टी में पोषक तत्व की कमी का पता चल सके जिससे उसमें सुधार किया जा सके। पीली सरसों की बुवाई देशी हल से करना करनी चाहिए। इससे बीज अच्छी तरह मिट्टी में जम जाता है। फूल निकलने से पूर्व की अवस्था में इसकी सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। इससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। इसकी खेती के दौरान यदि खरपतवारनाशी रसायन का प्रयोग न किया गया हो तो खुरपी से निराई कर खरपतवारों का नियंत्रण करना चाहिए।